हिंदुस्तानियों के अच्छे दिन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं उनकी पत्नी के आगामी 24-25 फरवरी को दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान उनके भ्रमण मार्ग में आ रही अवैध स्लम झुग्गियों को दीवाल से ढकने पर जो कांग्रेसी विरोध कर रहे हैं। उन कांग्रेसीयों को अपने पुरखे जवाहर लाल नेहरू का वो जघन्य घृणित कर्म एक बार ज़रूर याद करना चाहिए...

बात सन 1955 की है... सउदी अरब के तत्कालीन किंग "शाह सऊद सलमान "  प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विशेष अनुरोध निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में भव्यतम स्वागत किया गया। मुस्लिम आलिमों की सलाह पर शाह सऊद दिल्ली के बाद वाराणसी भी गए।

क्योंकि सऊदी अरब एक कट्टर मुस्लिम देश है... इसलिए नेहरू को लगा कि यदि सऊदी शाह सऊद बिन सलमान के सामने भारत के हिन्दू मंदिर और भारत के मंदिरों की मूर्तियां दिखेंगी तब उन्हें बुरा लग सकता है, क्योंकि इस्लाम में बुत परस्ती हराम मानी जाती है।

इसलिए शाह सऊद को प्रसन्न करने हेतु महज़ चापलूसी में नेहरू ने बनारस के उन सभी हिन्दू मंदिरों और मूर्तियों को परदे से ढक देने का आदेश दिया था जो सऊदी शाह सऊद के काफिले के रास्ते में आती थीं।

नेहरू की सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह सऊद" और उनके दल के लिए, एक विशेष ट्रेन में विशेष कोच की व्यवस्था की थी। शाह सऊद, जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस की सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा-ए-तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे।

वाराणसी में जिन-जिन रास्तों से "शाह सऊद" को गुजरना था, उन सभी रास्तों में पड़ने वाली मंदिर और मूर्तियों को परदे से ढक दिया गया था। 

तब इस्लाम की तारीफ़ और हिन्दुओं का मज़ाक बनाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था..

अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से।
मुँह अपना छुपाते थे, काशी के सनम-खाने॥

अब खुद सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में किसी भी बड़े से बड़े मुस्लिम तुर्रम खान के लिए ऐसा किया जा सकता है? 
आज ऐसा करना तो दूर, कोई करने की सोच भी नहीं सकता। 

आज भी बड़े-बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं और उनको वाराणसी भी लाया जाता है, लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है और उनसे पूजा कराई जाती है। 

यह मोदी की करिश्माई विदेश नीति का ही कमाल है कि कट्टरवादी खाड़ी देशों में हिन्दू मंदिरों और हिंदुओं की सम्मानजनक स्थिति हुई। 

अबुधाबी सरकार ने विशाल सनातन मन्दिर हेतु ज़मीन दी है, जिस पर मोदी ने आधारशिला भी रखी। भगवा हिंदूवादी छवि वाले मोदी जी को तमाम खाड़ी देशों ने बुलाकर अपने सर्वोच्च सम्मानों से नवाज़ा है। 

अमेरिका से नज़दीकी रिश्ते भी मोदी की विदेश नीति की ही देन हैं, कि कोई अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान की उपेक्षा करते हुए सीधे भारत आ रहा है।

गौरतलब है कि अपने दो दिवसीय दौरे पर आगामी 24-25 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रथम महिला नई दिल्ली और अहमदाबाद की यात्रा करेंगे, जो प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में है।

देश बदल रहा है और हमारे देश के प्रति दुनिया की सोच भी बदल रही है...
यही तो है हम हिंदुस्तानियों के अच्छे दिन।
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