महिला पहलवानों के धरने का असली सच जान दंग रह जायेंगे आप

दोस्तों, शाहीन बाग और किसान आंदोलन की तरह ही देश विरोधियों का एक और मंच तैयार करने की खतरनाक साजिश रची जा चुकी है। इस बार महिला पहलवानों के कंधों पर बंदूक रख गोली चलाने का प्रयास किया जा रहा है। राजनीति के इस गंदे खेल में इस बार महिला पहलवानों को मोहरा बनाया गया है। आज के इस लेख में हमने पहलवानों के धरने की आड़ में खेले जा रहे इस खतरनाक साजिश के खेल का भंडाफोड़ किया है इसलिए इसे अंत तक जरूर पढ़ें।

शायद आप लोगों को याद हो, आज से दो महीने पहले की बात है जब अमेरिका के पूंजीपति जॉर्ज सोरस ने विलाप करते हुए कहा था कि अदानी के मुद्दे पर मोदी ने जवाब नहीं दिया, मोदी को संसद में जवाब देना होगा। उस वक्त जॉर्ज सोरस ने मोदी को तानाशाह की संज्ञा देते हुए कहा था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है और वो मोदी को हटवाकर भारत में दोबारा लोकतंत्र को बहाल कराएंगे । 

सच तो ये है कि जॉर्ज सोरस के अंदर राष्ट्रवादियों के प्रति काफी घृणा है। जॉर्ज सोरस ने अमेरिका में ऐलान करके ट्रंप को हराने के लिए अपना खजाना खोल दिया था। जॉर्ज बुश की अगुवाई वाली रिपब्लिकन पार्टी को भी जॉर्ज सोरस ने ऐलानिया हराया था। जॉर्ज सोरस एंटी मोदी एनजीओ संगठनों को खूब पैसा दे रहा है। मोदी विरोधी वकीलों को भी फंडिंग की जा रही है।

कर्नाटक में 10 मई को वोट पड़ने वाले हैं और जंतर मंतर पर मोदी विरोध का नया मंच तैयार हो चुका है। जहां अब तक प्रियंका गांधी, सत्यपाल मलिक, पप्पू यादव और केजरीवाल भी आ चुके हैं।

'मोदी तेरी कब्र खुदेगी, 
आज नहीं तो कल खुदेगी' 

ऐसे नारे भी जंतर मंतर पर खिलाड़ियों की मौजूदगी में लगे हैं । जरा सोचिए खेल के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कुछ नहीं किया । मेडल जीतने से पहले भी हौसला बढाने के लिए बात की और मेडल जीतने के बाद भी सबको हमेशा मिलने के लिए बुलाया और खेल की बेहतरी के लिए प्रयास किए । जब से मोदी जी प्रधानमंत्री बने, मेडल की टैली में भी भारत की स्थिति में सुधार आया। लेकिन इसका बदला मोदी जी को ये मिला की उनकी मौत की दुआ मांगी जा रही है । 

सबसे बड़ा सवाल ये है कि अब जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर, बृ़जभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है तो जंतर मंतर पर पहलवानों के धरने को आगे बढ़ाने की क्या जरूरत है ? लेकिन धरने को इसलिए वापस नहीं लिया जा रहा है क्योंकि कर्नाटक में चुनाव है और वोटिंग होने वाली है । 

जरा सोचिए, यदि किसी महिला के साथ बुरा होता है, तो क्या वो जंतर मंतर पर धरना करती है या फिर सीधे पुलिस थाने जाती है ? 

राजनीति के इस गंदे खेल में 65 साल के वरिष्ठ नागरिक बृज भूषण शरण सिंह जैसे बेदाग और स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति पर ऐसा घिनौना इल्जाम लगाकर कीचड़ उछालने और उन्हें बदनाम करने की गंदी साजिश रची गई है जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। 

भारतीय कुश्ती के लिए पिछले 12 वर्षों में बृज भूषण शरण सिंह ने जो कुछ भी किया है वो किसी से छिपा नहीं है। लोग बताते हैं की वे कुश्ती में कैरियर बनाने के इच्छुक ऐसे गरीब युवाओं के लिए खुद अपने खर्चे से कुश्ती की ट्रेनिंग, रहने की व्यवस्था और पौष्टिक आहार का इंतजाम करते हैं जिनका परिवार उन्हें ये सुविधाएं नहीं दे सकता। कुश्ती के लिए जी जान से समर्पित ऐसे व्यक्ति पर बुढ़ापे में ऐसे घिनौने इल्जाम लगाना बहुत बड़ा पाप है।

देखिए बृज भूषण शरण सिंह ने इस पूरे प्रकरण पर क्या जवाब दिया-


आपको याद होगा की कैसे किसानों के नाम पर यूपी के अंदर जाटों को उकसाने की कोशिश की गई थी । लेकिन जब यूपी का चुनाव योगी जी जीत गए तो एक चर्चा में योगेंद्र यादव ने कहा कि हमने पिच अच्छी तैयार की थी रोलर भी चलाया था लेकिन अखिलेश यादव अच्छी बॉलिंग करके योगी और मोदी को आउट नहीं कर सके । 

ठीक इसी तरह अब जंतर मंतर पर भी मोदी विरोध का अखाड़ा तैयार किया जा रहा है ताकी वेस्ट यूपी और हरियाणा में जाटों को बीजेपी के खिलाफ भड़काने का काम किया जा सके । 

अजीत अंजुम जब जंतर मंतर पर रिपोर्टिंग करने गए थे तो एक पहलवान ने कहा की वो अजीत अंजुम की बहुत बड़ी फैन है। एकदम साफ है कि ये लोग मोदी विरोधी प्यादे हैं जिनका इस्तेमाल कांग्रेस कर रही है और इसका नुकसान देश को हो रहा है ।

पीटी ऊषा ने साफ कहा है कि ये महिला पहलवान देश को बदनाम कर रही हैं । मैरीकॉम भी पीटी ऊषा के साथ हैं । सवाल ये है कि क्या मैरिकॉम और पीटी ऊषा के मेडल की कोई कीमत नहीं है? आखिर वो भी तो मेडल विजेता हैं? और देखा जाए तो ये दोनों धरने में शामिल इन पहलवानों से कहीं बड़े स्तर की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रही हैं।

सिर्फ आरोप लगाने से कोई बात सही साबित नहीं हो जाती, सबूत भी होने चाहिए। और अगर महिला पहलवानो का दावा है कि बहुत सारी महिला पहलवानों का बृ़जभूषण शरण सिंह ने शोषण किया है तो फिर उन्हें अपने आरोपों को सबूतों के साथ सही भी साबित करना चाहिए। उसके लिए देश में कानून है, न्यायालय है, धरना देकर तमाशा करने से क्या होगा?

सबसे बड़ा सवाल, एक विशेष परिवार जो कुश्ती पर अपना कब्जा जमाना चाहता है, वो आखिर नेशनल क्यों नहीं खेलना चाहता है, सीधे ओलंपिक ही क्यों खेलना चाहता है ? 

ऐसे तमाम सवाल हैं जो पहलवानों के इस धरने को टूल किट प्रायोजित साबित कर रहे हैं । 

देखिए महिला पहलवान विनेश फोगाट का 2018 में दिया गया एक इंटरव्यू-

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