खजुराहो के मंदिर : हमारी अनमोल धरोहर

आज हम आपको उत्कृष्ट भारतीय कला और बेहतरीन शिल्पकारी के नायाब नमूने खजुराहो के मंदिरों (Khajuraho Temples) के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। तो आइए बात करते हैं हमारी अनमोल धरोहरों में से एक खजुराहो के मंदिरों (Khajuraho Temples) की। 

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित खजुराहो के मंदिरों (khajuraho temples) का निर्माण चंदेल वंश (Chandela Dynasty) के तेजस्वी राजा चन्द्रवर्मन (King Chandravarman) द्वारा 950 से 1050 ईसवी के बीच करवाया गया था। 


खजुराहो (Khajuraho) मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) जिले में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के झाँसी (Jhansi) से 175 किलोमीटर दक्षिण की तरफ स्थित है। खजुराहो (Khajuraho) को कई नामों से जाना जाता है। पहले के समय में यहाँ बहुत से खजूर के वृक्ष थे। इसी कारण से इसका नाम खजुराहो (Khajuraho) पड़ा।

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार हिंदू और जैन मंदिरों के इन समूहों को पूरी तरह आकार लेने में लगभग 100 वर्षों का समय लगा था। 12 वीं शताब्दी से खजुराहो (Khajuraho) में लगभग 85 मंदिर हैं जो 20 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं। लेकिन अब कुछ ही मंदिर बचे हुए हैं जो अब 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं।


पूरे मंदिर परिसर को तीन भागों पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी में विभाजित किया गया है। पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं। 
पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेल शासन (Chandel Dynasty) के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनाए गए थे। पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से आठ मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, और एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को समर्पित हैं। यहाँ बने हुए सभी मन्दिरों में 107 फुट ऊंचा कंदरिया महादेव मंदिर (Kandariya Mahadev Mandir)  सबसे भव्य और महत्वपूर्ण मन्दिर है।


चंदेल वंश (Chandela Dynasty) के कार्यकाल में खजुराहो के इन मंदिरों (Khajuraho Temples) का निर्माण हुआ। राजा चन्द्रवर्मन (King Chandravarman) ने चंदेल वंश (Chandela Dynasty) और खजुराहो (Khajuraho) की स्थापना की थी। मध्यकाल के समय राजा चन्द्रवर्मन ने राज्य किया और कुछ समय बाद उनके शासन को बुंदेलखंड (Bundelkhand) नाम दे दिया गया और तब से ही खजुराहो मंदिरों (Khajuraho Temples) का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ।


यह कार्य 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी तक लगभग 100 वर्षों तक चला। इसके पश्चात चन्देलों (Chandela Dynasty) ने अपनी राजधानी महोबा (Mahoba) बना ली। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि चंदबरदाई (Chandbardayi) की रचना पृथ्वीराज रासो (Prithviraj Raso) में चन्देल राजाओं (Chandela Dynasty) का विस्तृत सन्दर्भ मिलता है। 

पृथ्वीराज रासो (Prithviraj Raso) के अनुसार चन्द्रवर्मन (Chandravarman) एक बहुत ही तेजस्वी राजा हुए। उनके असाधारण गुणों को देखकर उनकी माता ने चंद्रदेव की आराधना की। तब चंद्रदेव ने चन्द्रवर्मन को पारस पत्थर दिया और खजुराहो (Khajuraho) का राजा बना दिया। जिसके पश्चात चन्द्रवर्मन ने उस जगह को बहुत ही सुन्दर बनवाकर 85 मंदिरों का निर्माण करवाया और यज्ञ का आयोजन किया। तभी से खजुराहो के मंदिर (Khajuraho Temples) अद्वितीय स्थल बन गए।


खजुराहो के मंदिर (Khajuraho Temples) अपनी अद्दभुत कलाकृतियों तथा कामोत्तेजक मूर्तियों (Erotic Statues) के लिए विश्व प्रसिद्ध है। खजुराहो के मंदिर (Khajuraho Temples) में शिल्पकला का ऐसा प्रदर्शन किया गया है कि कोई भी व्यक्ति देख कर हैरान रह जायेगा की आखिर ऐसी शिल्पकला इस ढंग से कोई कैसे प्रदर्शित कर सकता है।

यहाँ की मूर्तियों में ही नहीं बल्कि पूरे मंदिर में कलात्मक कार्य देखने को मिलता है. खजुराहो के मंदिरो (Khajuraho Temples) के अंदर और बाहरी भागों पर करीब दस प्रतिशत कार्य कामोत्तेजक कलाकृतियों का किया गया है. मंदिरों की लम्बी लम्बी दीवारों पर भी छोटी छोटी कामोत्तेजक कलाकृतियां बनायीं गयी है.


खजुराहो के मंदिरों (Khajuraho Temples) की ख़ास बात यह है कि इन मूर्तिओं के द्वारा जो कामुक कला के आसन यहाँ दर्शाए गए हैं उन में स्त्री और पुरुषों की मूर्तियों के मुख पर एक अलौकिक आनंद दिखाई देता है और उनको देखकर किसी प्रकार की अश्लीलता का भाव नहीं आता. देखने में यह मंदिर और इनकी शिल्पकला और कामोत्तेजक मूर्ती कला इतनी भव्य और प्रभावशाली है कि खजुराहो के मंदिरों (Khajuraho Temples) को विश्व धरोहर (World Heritage) में शामिल किया गया है.

खजुराहो में मंदिरों (Khajuraho Temples) का बड़ा समूह है, जिसका भ्रमण करने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं। प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिरों जैसे चौंसठ योगिनी मंदिर (Chaunsath Yogini Mandir), जावेरी मंदिर, देवी जगदम्‍बा मंदिर, विश्‍वनाथ मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्‍मण मंदिर, कामदेव मंदिर, आदिनाथ मंदिर जैसे बहुत से मंदिर होने के कारण, इन मंदिरों को सन् 1986 ई. में खजुराहो स्मारक समूह (Khajuraho Group of Monuments) नाम से युनेस्को विश्व धरोहर स्थल (UNESCO World Heritage Site) की सूची में शामिल किया गया है। इन्हें भारत के सात अजूबों (Seven Wonders of India) में भी स्थान दिया गया है।


अगर आप भी कहीं घूमने जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए रहस्य और कल्पनाशीलता के लिए विख्यात खजुराहो (Khajuraho) एक बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता है। हमारा दावा है कि यहां पत्थरों पर बारीकी से उकेरी गई उत्कृष्ट कलाकृतियां और इनकी भव्यता आपको अवश्य सम्मोहित कर देंगी। 

खजुराहो कब और कैसे जायें?
Khajuraho Tour in hindi

वैसे तो खजुराहो (Khajuraho) जाने के लिए सर्दियों का सीजन सबसे बेहतर है लेकिन आप यहाँ अपनी सुविधानुसार कभी भी जा सकते हैं। खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित है। यहाँ जाने के लिए झांसी या वाराणसी से ट्रेन द्वारा जा सकते हैं। इसके अलावा नई दिल्ली, मुम्बई, वाराणसी और भोपाल से हवाई जहाज द्वारा भी आप खजुराहो (Khajuraho) जा सकते हैं। 


खजुराहो में ठहरने के लिए होटल
Hotel Near Khajuraho Temple

खजुराहो (Khajuraho) में आपको ठहरने के लिए 5 स्टार से लेकर 2 स्टार तक होटल उपलब्ध है। यहाँ पर आपको 1500 रुपये से लेकर 5000 रुपये के बीच अच्छे फैमिली बेडरूम मिल जाएंगे। 

खजुराहो के आसपास घूमने लायक स्थान
Places Near Khajuraho Temple

खजुराहो के मन्दिरों (Khajuraho Temples) को देखने के बाद आप यहाँ से 30 किलोमीटर दूर स्थित पन्ना टाइगर पार्क (Panna Tiger Park) भी जा सकते हैं। यहाँ से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर पांडव फाल (Pandav Fall) भी है और लगभग 170 किलोमीटर दूर ओरछा का किला (Orchha Fort) है। आप इन जगहों पर भी घूमने जा सकते हैं। 


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