लाशों पर सेंकी जाती हैं यहाँ राजनीति की रोटियां

जिस दिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने फिल्मसिटी बनाने का ऐलान किया था वे उसी दिन से राडार पर आ गए थे। भारत मे वामपंथ के गढ़ पर हमला हुआ था और हमला ऐसा है जो इस किले का नामोनिशान मिटा देने वाला है। प्रतिक्रिया तो होनी ही थी। हुई मगर झूठ के पैर नहीं होते।

पहले किसानों के नाम पर देश को भड़काने की कोशिश हुई...जबकि साधारण सा समझ बुझ रखने वाला इंसान भी समझ सकता है कि कृषि बिल किसी भी तरह से किसानों के खिलाफ नहीं है। खुद कांग्रेस ने पिछले साल अपने घोषणापत्र में इसका समर्थन किया था। मनमोहन सिंह और राहुल गांधी तक ने इसे लागू करने की बात कही है। सबके वीडियो सबने देखे। मगर फिर भी देश को भड़काने की, देश का माहौल खराब करने की पुरजोर कोशिश की गई। मगर जनता अब समझदार हो गई है, वो सब जान चुकी है।

28 सितम्बर को खबर आती है कि NCB के राडार पर S, R और A इनिशियल वाले 3 बड़े स्टार आ चुके हैं। 29 सितम्बर की सुबह से एक खास चैनल एक फर्जी रेप की अफवाहें फैलाना शुरू कर देता है। जबकि ये मामला 14 तारीख का था। लड़की 3 बार बयान बदल चुकी थी और 23 तारीख को तीसरे बयान में रेप की बात कही है। सारे आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी थी। 

अचानक 29 तारीख को इस चैनल की नींद खुलती है। "UP में दरिंदगी की हद्द" "जीभ काट दी..." (दूसरे चैनल पर वही लड़की पुलिस को बयान देती दिख रही है) "आंखें निकाल दी..." (बयान देने वाली लड़की की आंखें बिल्कुल सही सलामत हैं ) "4 लोगों ने गैंगरेप किया.." (किसी भी मेडिकल रिपोर्ट या पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप तो छोड़ो रेप की भी पुष्टि नहीं हुई। जबकि पोस्टमार्टम UP में नहीं...दिल्ली में हुआ)।

ये वही चैनल है जिसने रिया के लिए टसुए बहाए जो शुरू से वामपंथियों का समर्थक रहा है। इधर इसने माहौल बनाना शुरू किया उधर ट्विटर पर वामपंथियों के ताबड़तोड़ ट्वीट शुरू हो गए। पूरी फिल्म इंडस्ट्री ट्वीटीयाने लगी। लेकिन जैसे ही दिल्ली के खलीफा ने ट्वीट किया भक्त समझ गए झोल है। उसके बाद छानबीन शुरू हो गई। सारा झोल सामने आ गया। ना जीभ कटी, ना आंखें निकालीं। रिपोर्ट कह रही है कि रेप भी नहीं हुआ।

तो ये सब क्या था? क्यों था? किसके लिए था? ये दो में दो जोड़कर जवाब चार निकालने जितना आसान है।

इस पोस्ट का मकसद पीड़िता पर उंगली उठाना बिल्कुल नहीं है। बल्कि उन गिद्धों को बेनकाब करना है जो सिर्फ इसलिए एक बच्ची की मौत का इंतज़ार कर रहे थे, ताकि उसकी लाश पर अपनी राजनीति की रोटियां सेंक सकें। कल कुछ लोग कह रहे थे कि रात में अंतिम संस्कार क्यों हुआ। 1 अक्टूबर को जो हाथरस में हुआ वो उनके सवाल का जवाब है। पूरी तैयारी थी लड़की की बॉडी को कब्जे में लेकर हाथरस और पूरे UP में दंगे फसाद कराने की। दलाल चैनल के वामपंथी रिपोर्टर उस लड़की के घर पर झुंड में इकट्ठे थे ताकि लड़की की बॉडी को कब्जे में ले सकें।
अपनी राजनीति की रोटियां सेंकने के लिए पत्रकारों को खरीदा जा रहा है, मीडिया हाउस को खरीदा जा रहा है, नेताओं को खरीदा जा रहा है।  इतना अधिक झूठा प्रचार वर्तमान समय में मीडिया में छा गया है कि सच को पकड़ना मुश्किल हो गया है। इन वामपंथी दलालों से सावधान रहें।

हमे पूरा यकीन है कि योगी आदित्यनाथ कभी अन्याय नहीं होने देंगे। मगर ऐसी घटनाओं से सबको सावधान रहने की जरूरत है। 2014 के बाद से ही एक पार्टी देश मे आग लगाने के अपने एजेंडे पर लगी हुई है। अपने युवराज को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने की लालसा में यह पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है। हमारी सावधानी ही इसे रोक सकती है। इसलिए सतर्क रहें, जागरूक रहें और सच-झूठ में फर्क करना सीखें। आंखें मूंदकर विश्वास न करें अपनी आंखें खुली रखें।

#जयहिन्द
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