शराब की दुकानों पर उमड़ता जनसैलाब, आखिर क्यों?

आज जब 40 दिनों के लॉकडाउन के बाद शराब की दुकानें खुलीं तो 1-1 किलोमीटर लंबी लाइन लगाकर पब्लिक द्वारा शराब खरीदे जाने का नजारा अपने आप में एक अनोखा नजारा था, क्योंकि इस देश में कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता था कि शराब जैसी चीज लोगों के लिए इतनी अहम होगी कि एक लंबे अरसे बाद जब शराब की दुकानें खोलने का आदेश हुआ तो हर दुकान पर लम्बी-लंबी कतारें देखी गई। लोग दिनभर धूप में खड़े रहकर शराब खरीदते देखे गए और बिक्री का आलम यह था कि दोपहर होते-होते हर दुकान का स्टॉक खत्म हो गया।

इससे यह पता चलता है कि शराब और शराबी दोनों जिसे दुनिया बहुत ही हिकारत की नजर से देखती है यह आज के हमारे शिक्षित समाज का एक अहम हिस्सा बन चुका है। ये भारी भीड़ देखकर यह साबित हो जाता है कि हमारे समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है जो नियमित शराब पीने का आदि हो चुका है। आज के समय में शराब का सेवन करने वाले लोगों की संख्या बहुतायत में है और यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है। नई पीढ़ी में तो शराब के शौकीनों की संख्या में सबसे अधिक बढ़ोतरी हो रही है। तमाम ऐसी खबरें आ रही थी कि लॉकडाउन में शराब न मिलने का कारण बहुत से लोग विछिप्त से होने लगे थे। यही कारण था कि शराब की दुकानों को खोलने की मांग जोर पकड़ती जा रही थी।

हमारे समाज के एक बड़े वर्ग के शराब से लगाव होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जैसे टूटते बिखरते संयुक्त परिवार, संस्कारों की कमी, समाज का खुलापन, पाश्चात्य संस्कृति की नकल, तनाव, अकेलापन, खालीपन आदि। मुझे जो सबसे बड़ा कारण समझ में आता है वह टूटते बिखरते संयुक्त परिवार है। इंसान अब  परिवार में नहीं रहता, अकेले रहने का आदी हो चुका है क्योंकि अब परिवार में दो या तीन या अधिकतम 4 सदस्य होते हैं। और वो भी अजनबी की तरह एक दूसरे के साथ रहते हैं। 

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स्मार्टफोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया के आने से इंसान ने आपस में बातचीत करना तक छोड़ दिया है। लोग एक ही कमरे में घण्टों रहते हैं लेकिन एक बार भी आपस में बात करने की नौबत नहीं आती, क्योंकि सब की अपनी एक वर्चुअल लाइफ है, हर कोई मोबाइल लेकर पड़ा है अपनी एक अलग ही दुनिया में।  ऐसी जीवनशैली के कारण हर व्यक्ति के अंदर एक एकाकीपन एक खालीपन सा आ गया है क्योंकि परिवार में जो दो चार सदस्य हैं वह भी मोबाइल आने के कारण कभी बहुत मुश्किल से ही एक दूसरे से बात कर पाते हैं। सभी लोग सोशल मीडिया और इंटरनेट पर मोबाइल में ही लगे रहते हैं और एक दूसरे से बातें तक नहीं करते हैं। 

कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और मनुष्य समाज में ही रहता है और समाज में ही रहना उसके लिए उचित है क्योंकि वह जानवरों से भिन्न है। उसे बात करने को चाहिए उसे लोगों से मिलना जुलना भी जरूरी है। उसे अपना सामाजिक ताना-बाना बनाकर रहना बहुत ही जरूरी है। 

अब क्या हुआ कि जब संयुक्त परिवार टूटने बिखरने लगे और न्यूक्लीयर फैमिली का फैशन चला तब से लोग अकेले रहने लगे और अकेले रहने का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह हुआ कि लोग डिप्रेशन, तनाव, निराशा, हताशा, एकाकीपन और खालीपन (Emptyness) जैसी मानसिक समस्याओं से ग्रस्त होते जा रहे हैं। अब ऐसे में उन्हें होश में रहना ज्यादा पसंद नहीं है। वे ज्यादा से ज्यादा समय तक नशे में रहकर अपने गम को भुला कर अपने दिल को बहला कर जीना चाहते हैं। क्योंकि उनके पास जीने के लिए और कोई तरीका ही नहीं बचा है। क्योंकि परिवार है नहीं परिवार में किसी से मिलना जुलना बातचीत करना एक दूसरे का सुख दुख बांटना वह सारी चीजें खत्म हो चुकी है। 

आज का हमारा समाज खुद को एडवांस और शिक्षित तो समझने लगा है लेकिन देखा जाए तो हमारा समाज तरक्की की बजाय पतन की ओर अग्रसर है क्योंकि मनुष्य का सामाजिक ताना-बाना ही बिखरता चला जा रहा है उसकी देन है कि लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे हैं और नशे की लत के गुलाम हो रहे हैं और यही कारण है कि आज जो आप सब ने भी देखा होगा की दुकानों के बाहर लंबी लंबी कतारें लगाकर लोग शराब खरीद रहे थे।

 इससे साफ जाहिर है कि हमारे विकसित समाज की शराब एक अहम चीज हो चुकी है। आज अधिकतर लोग शराब के बिना एक दिन भी जी पाने की कल्पना नहीं कर पा रहे है क्योंकि वह होश में रहना ही नहीं चाहते क्योंकि उनके पास होश में रहने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। लोग अपने गम को भुलाने के लिए हमेशा नशे का सहारा लेने लगे हैं और उनका एकमात्र सहारा है शराब जिसके सहारे वह अपना जीवन काट रहे हैं। 

लेकिन देखा जाए तो इस तरह का जीवन जीना किसी भी तरह से जायज नहीं है क्योंकि इंसान जब खुद अपने आप को होश में नहीं रखना चाहता है तो यह किसी भी समाज के लिए और किसी भी देश के लिए एक अच्छी बात नहीं कही जा सकती। जिस देश के नागरिक नशे के आदी होंगे उस देश का भविष्य क्या होगा? उस देश के परिवारों का भविष्य क्या होगा? उस देश के बच्चों का भविष्य क्या होगा? 

इसीलिए मुझे लगता है कि इंसान अपने पुराने रूप में वापस लौटने लगे यही हम सबके लिए, हमारे समाज के लिए और देश के लिए उचित होगा। क्योंकि जैसा कि हम सब देख रहे हैं कि कोरोना महामारी के कारण कितनी बड़ी आपदा पूरे विश्व पर आ चुकी है और किस प्रकार से सारी परिस्थितियां बदल रही है और कैसे पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो रही है, रोजाना हजारों लोग मर रहे हैं। ऐसे में शराब को सरकार द्वारा बेचे जाना सही तो नहीं कहा जा सकता क्योंकि ऐसे समय में जबकि कोरोना संक्रमण अपने चरम पर पहुंचने को तैयार है यदि हमारे देश के अधिकतर लोग नशे के शिकार होंगे तो उनमें संक्रमण होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाएगी और उनके द्वारा फिर उनके परिवार और आसपास के लोगों को भी संक्रमण होने का खतरा अधिक होगा।

लेकिन सबसे बड़ी और सच बात यह है कि आज के समय में शराब बिक्री किसी भी सरकार के लिए राजस्व प्राप्त करने का सबसे बड़ा जरिया बन चुकी है यही कारण है कि शराब की बिक्री के बिना सरकार का चल पाना असंभव सा हो गया है। सरकार के सारे खर्चे शराब की बिक्री से ही चलते हैं क्योंकि अधिकतर विभाग जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य आदि तो सरकार पर बोझ की तरह ही हैं। यही कारण है की कोरोना महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार को शराब की बिक्री फिर शुरू करने को बाध्य होना पड़ा है।
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