जीवन के दो विराट सत्य
अंधेरा और सन्नाटा जीवन के दो विराट सत्य हैं,
जिंदगी इनके मुकाबले कितनी स्वप्नवत और भगोड़ी है
कौन है अपना, कहां है अपनापन, मैं चाहता हूं पूछना
मगर क्या इन दीवारों से पूछा जा सकता है यह सब?
ये मौन बड़ा सारगर्भित है...
इसलिये..
इसी का सहारा लेता हूँ अक्सर..
क्योंकि अंधेरा और सन्नाटा ही जीवन के दो विराट सत्य हैं...
*स्वरचित
©संजय राजपूत
©संजय राजपूत