आखिर Farmers Bill के विरोध की असली वजह क्या है? Kisan Bill से किसे होगा नुकसान?

Farmers Bill के नए फार्म रिफॉर्म की जड़ क्या है और राजनेता इससे क्यों चिंतित हैं? इसे सही ढंग से समझने के लिए नीचे दिए गए इस विश्लेषण को ध्यान से पढ़ें।

Kisan bill की नई प्रणाली में, कृषि उपज के व्यापारियों को केंद्रीय प्राधिकरण के साथ अपने PAN के साथ उन्हें पंजीकृत करना होगा।

प्रथम स्तर का लेनदेन जो (किसान और व्यापारी के बीच) GST प्रणाली के दायरे से बाहर है।

धीरे-धीरे, आगे कृषि व्यापार (हालांकि पंजीकृत व्यापारियों) को GST प्रणाली में लाया जाएगा। नतीजतन, कृषि उपज की बिक्री और आय सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।

असली खेल यहाँ से शुरू होगा। किसान तो हमेशा Income Tax और GST प्रणाली से मुक्त रहेंगे। लेकिन जो Traders इन Agricultural Products को अप-स्ट्रीम बेचते हैं उन्हे GST और Income Tax के दायरे  में लाया जाएगा.

Farmers Bil किस तरह से काम करेगा इसे आसानी से समझने के लिए नीचे एक उदाहरण दिया जा रहा है...

अगर सुप्रिया सुले और चिदंबरम को अपने अंगूर और गोभी को व्यापारियों को क्रमशः 500 करोड़ रुपये में बेचना है, तो उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने ITR में जिस व्यापारी को माल बेचा उसके PAN नम्बर को दर्ज करना होगा।

Traders को अप-स्ट्रीम में माल को बेचकर अपनी आय पर 500 करोड़ रुपये और आयकर पर GST का भुगतान करना होगा।

कल्पना कीजिए कि यदि कोई अंगूर और कोई गोभी है ही नहीं (सिर्फ भरष्टाचार का पैसा है) तो स्वाभाविक रूप से, व्यापारी सुप्रिया सुले या चिदंबरम से GST और Income Tax वसूल करेगा!

इसलिए, सभी सुले, सभी चिदंबरम, सभी भ्रष्ट नेताओं को, जो कमीशन एजेंट और दलाल हैं, उन्हें अपनी कृषि आय दिखाने के लिए अब Kisan Bill आने के बाद एक बड़ी रकम का भुगतान Income Tax और GST के रूप में भुगतना होगा। ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है।

ईमानदार किसान, जिनके पास वास्तव में कृषि उपज थी, वे इस दायरे से मुक्त रहेंगे।

यही इस kisan bill की खासियत है जो सारे मामले कि जड़ है। इसलिए सारे भ्रष्टाचारी बिलबिला रहे हैं, यदि ये kisan bill रहा तो उनके भ्रष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।

पंजाब और महाराष्ट्र में कृषिगत भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है, साथ ही वाड्रा के साम्रज्य का बड़ा हिस्सा हरियाणा में है, तो kisan bill का विरोध वहीं से आ रहा है!

यदि कल को अम्बानी, अडानी इन किसानों से माल खरीदते भी हैं तो उन्हें उस खरीद पर सरकार को GST और Tax देना होगा जो अब तक Tax से बचा हुआ था।

अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि सारे विपक्षी राजनेता आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च कर रहे हैं।

अगर हमें भारत से भ्रष्टाचार को आमूल चूल खत्म करना है, तो सही बिलों के पीछे छुपी राष्ट्र निर्माण की मंशा को समझना होगा और समर्थन करना होगा।

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